विविधा

विविधा : हिंदी की साहित्यिक पत्रिका

Monday, June 27, 2011

लघुकथाएं

मिथ्या प्रलाप 

बेटे को देखने आये मेहमानों के साथ बैठक में बैठा रामसिंह टी.वी. पर समाचार देखते हुए कह रहा था-"सारी व्यवस्था ही भ्रष्ट हो गयी है, बिना पैसे दिए कहीं  कोई काम नहीं होता. सरकार तो बिलकुल निकम्मी हो गयी है, किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करती. सब चोर हैं साले."
तभी लड़की के पिता ने पूछा-"आपके लड़के की तनख्वाह कितनी है?"
"अरे साहब, तनख्वाह को छोडिये. तनख्वाह तो तीस हजार रूपया महिना ही है, जो आज तक उसने अपने खाते से निकलवाई ही नहीं. उसकी एक महीने की ऊपर की कमाई ही आठ से दस लाख रूपया है. जे.ई . है मेरा बेटा जे.ई. राम सिंह गर्व से बोला. 

अपना खून 
अस्पताल पहुँचने के घंटे भर बाद ही सविता को डिलीवरी रूम में ले जाया गया. डिलीवरी सामान्य हो गयी और कुछ ही देर बाद गाँव से उसके साथ आई नर्स दो बच्चों को गोद में उठाये उसके पास आई. नर्स ने निराशा भरे स्वर में कहा,"सविता, तुम्हारी तो तीसरी भी बेटी ही हुयी है, कहो तो मई सीमा के बेटे से इसे बदल देती हूँ. उसके तो पहले ही दो लड़के हैं और तीसरा भी लड़का ही हुआ है, जो अभी मेरी गोद में ....."
नर्स की बात पूरी होने से पहले ही सविता चीख उठी-"नहीं बहन जी, मुझे मेरी बेटी ही प्यारी है. मैं बेटे के लालच में अपनी बेटी किसी और को नहीं दे सकती, वह मेरा अंश है. बेटी है तो क्या हुआ है तो मेरा अपना खून. मैं बेटे के लिए अपने खून का सौदा नहीं कर सकती.

अलग-अलग पैमाने
रेलवे स्टेशन पर बैठी एक महिला किसी मुसाफिर  को गालियाँ दे रही थी. आसपास बैठे लोगों से कह रही थी -"बेरहम ने जरा-सी बात पर मासूम को दो तमाचे जड़ दिए. अरे! बच्चा था, इसे क्या पता था की खींचने से चश्मा गिर जायेगा और गिरा ही था टूटा भी नहीं. फिर भी कमीने ने मेरे चार साल के पौते को पीट दिया. पता नहीं उसके घर में कोई बच्चा है या नहीं. मै तो कहती हूँ बच्चे तो सबके एक जैसे ही होते हैं. इसीलिए उन्हें भगवन का रूप माना जाता है. मै तो....."
इससे पहले  की महिला बात पूरी करती सामने की बेंच पर बैठे एक बच्चे ने हाथ में ली हुयी गेंद फर्श पर फेंक दी. जो उछल कर महिला के चश्मे पर जा लगी. गेंद लगते ही वह आग-बबूला हो गयी. बोली हरामजादे, अभी बताती हूँ तुझे, मेरा चश्मा टूट जाता तो.....पूरे पाँच सौ का बना है, तुझे यही जगह मिली थी खेलने को...."  कहते हुए उसने अपने पौते से भी कम उम्र के उस बच्चे को दो थप्पड़ लगा दिए.
अब तक अपने पौते की वकालत में बच्चों को भगवन का रूप बताने वाली महिला के इस दोगले चरित्र को देखकर लोग हैरान रह गए.

No comments:

Post a Comment