विविधा

विविधा : हिंदी की साहित्यिक पत्रिका

Sunday, July 3, 2011

ग़ज़लनुमा

तू भी दुनियादारी सीख
थोड़ी सी मक्कारी सीख

भूखा मरने से बेहतर है
करना अब गद्दारी सीख

चेहरे रोज़ बदलती दुनिया
तू भी कुछ अय्यारी सीख

सपने बुनने से क्या होगा
कोई तो दस्तकारी सीख

अपनों से मिलने से पहले
करना तेज कटारी सीख

कब तक बैठेगा पैरों में
"यादव" तू सरदारी सीख

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