मन को अपने बीमार न कर
हार कभी स्वीकार न कर
अच्छे काम भी हैं दुनिया में
लाशों का व्यापार न कर
मन को जीत न पाए तो
तन पर भी अधिकार न कर
बीत गया वो कब आता है
वक़्त को यूँ बेकार न कर
पूरा करना संभव न हो
ऐसा कोई इकरार न कर
दीवाना है सच बोलेगा
यादव पर ऐतबार न कर
हार कभी स्वीकार न कर
अच्छे काम भी हैं दुनिया में
लाशों का व्यापार न कर
मन को जीत न पाए तो
तन पर भी अधिकार न कर
बीत गया वो कब आता है
वक़्त को यूँ बेकार न कर
पूरा करना संभव न हो
ऐसा कोई इकरार न कर
दीवाना है सच बोलेगा
यादव पर ऐतबार न कर
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