विविधा

विविधा : हिंदी की साहित्यिक पत्रिका

Sunday, April 22, 2012

ग़ज़ल


कदम-कदम पर खार मिलेंगे/
बड़े लोग गद्दार मिलेंगे/

सच के पथ पर बढ़ते जाना,
फूलों के भी हार मिलेंगे/

दौलत वाले बिक सकते हैं,
फटेहाल खुद्दार मिलेंगे/

अपनी बस्ती में आ जाना,
कुत्ते भी वफादार मिलेंगे/

हम यदुवंशी देश धर्म पर,
मिटने को तैयार मिलेंगे// रघुविन्द्र यादव

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