अपनी नेकी छोड़ कर, बदल गया इंसान|
मक्कारी का राज है, सिसक रहा ईमान||
सबसे कहे पुकार के, यह वसुधा दिन रात|
जितनी कम वन सम्पदा, उतनी कम बरसात ||
चक्षु ज्ञान के खोलिए, जीवन है अनमोल|
शब्द बहुत ही कीमती, सोच समझ कर बोल||
समय शिला पर बैठकर, शहर बनाते चित्र |
सूख गयी जल की नदी, सिकुड़े जंगल मित्र ||
इन फूलों के देखिये, भिन्न भिन्न है नाम|
रंग रूप से भी परे, खुशबू भी पहचान||
होली आई री सखी, दिन भर करे धमाल|
हरा गुलाबी पीत रंग, बरसे नेह गुलाल ||
भेद भाव से दूर ये, होली का त्यौहार |
डूबा जोशो जश्न में, यह सारा संसार||
अम्मा बाबू से कहे , खेलें होरी आज|
कहा तुनक कर उम्र का, कुछ तो करो लिहाज||
पावन धरती राम की, जिसपे सबको नाज|
घूम रहे पापी कई, भेष बदल कर आज||
मक्कारी का राज है, सिसक रहा ईमान||
सबसे कहे पुकार के, यह वसुधा दिन रात|
जितनी कम वन सम्पदा, उतनी कम बरसात ||
चक्षु ज्ञान के खोलिए, जीवन है अनमोल|
शब्द बहुत ही कीमती, सोच समझ कर बोल||
समय शिला पर बैठकर, शहर बनाते चित्र |
सूख गयी जल की नदी, सिकुड़े जंगल मित्र ||
इन फूलों के देखिये, भिन्न भिन्न है नाम|
रंग रूप से भी परे, खुशबू भी पहचान||
होली आई री सखी, दिन भर करे धमाल|
हरा गुलाबी पीत रंग, बरसे नेह गुलाल ||
भेद भाव से दूर ये, होली का त्यौहार |
डूबा जोशो जश्न में, यह सारा संसार||
अम्मा बाबू से कहे , खेलें होरी आज|
कहा तुनक कर उम्र का, कुछ तो करो लिहाज||
पावन धरती राम की, जिसपे सबको नाज|
घूम रहे पापी कई, भेष बदल कर आज||
No comments:
Post a Comment