पथ के दावेदार सभी !
पैरों से लाचार सभी !
दुनिया एक तमाशा है ,
लोग हुए किरदार सभी !
परख लिया था बस यूं ही ,
भाग गए हैं यार सभी !
बाँट रहे हैं ख़ौफ़ यहाँ ,
रक्त सने अखबार सभी !
बातें जिनकी डगमग थी ,
खो बैठे आधार सभी !
कौन बचाए दुश्मन से ,
सोये पहरेदार सभी !
देगा कौन दवा 'गुलिया ' ,
चारागर बीमार सभी !
-राजपाल सिंह गुलिया
रा प्रा पा, भटेडा, झज्जर
No comments:
Post a Comment