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विविधा : हिंदी की साहित्यिक पत्रिका

Thursday, October 22, 2015

राजपाल सिंह गुलिया की ग़ज़ल



पथ के दावेदार सभी !
पैरों से लाचार सभी !

दुनिया एक तमाशा है ,
लोग हुए किरदार सभी !

परख लिया था बस यूं ही ,
भाग गए हैं यार सभी !

बाँट रहे हैं ख़ौफ़ यहाँ ,
रक्त सने अखबार सभी !

बातें जिनकी डगमग थी ,
खो बैठे आधार सभी !

कौन बचाए दुश्मन से ,
सोये पहरेदार सभी !

देगा कौन दवा 'गुलिया ' ,
चारागर बीमार सभी !

-राजपाल सिंह गुलिया

रा प्रा पा, भटेडा, झज्जर

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