विविधा

विविधा : हिंदी की साहित्यिक पत्रिका

Sunday, November 8, 2015

बाल कविता - आई दीवाली

दीप जलाओ, दीप जलाओ।
आई दीवाली, खुशी मनाओं।।

झिल मिल-झिल मिल दीप जले,
चकरी, फिरकी, फुलझड़ी चले,
आतिशबाजी से नभ रंगीन हुआ,
घर-घर आंगन में लड़ी जले।
अनार, बम, पटाखें खूब चलाओं।।

हिंदु, मुस्लिम, सिख, इसाई,
मिलकर नफरत की पाटो खाई,
इक-दूजे के गले मिलो तुम,
आपस में तुम हो भाई-भाई।
मिल जुल कर ये पर्व मनाओ।।

अब की ऐसी आए दीवाली,
घर-घर में छाए खुशहाली,
हर आंगन में नाचे खुशियां,
खेतों में छाए हरियाली।
खुशियों के तुम दीप जलाओ।।

-भूप सिंह ‘भारती’

गाँव व डाक -खालेटा
जिला - रेवाड़ी, हरियाणा- 123103
मो0 - 094162-37425


No comments:

Post a Comment