विविधा

विविधा : हिंदी की साहित्यिक पत्रिका

Monday, February 15, 2016

पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू' के दोहे

नमन करें माँ शारदे, करिए ज्ञान प्रदान।
हो जाए तेरी कृपा, जीवन हो वरदान॥1॥ 

हँसवाहिनी शारदे, वेदों में  है वास।
हम सब करते प्रार्थना, भरिए हृदय प्रकाश॥2॥ 

माता वीणावादिनी, तुमसे है संगीत।
छंद-छंद में हो बसी, और सरस हो गीत॥3॥ 

जग जननी माँ शारदे, महिमा अपरंपार।
मानव की तो बात क्या, देव न पाएँ पार॥4॥ 

अज्ञानी पाकर दया, हो जाए विद्वान।
उसको इस संसार में, मिले बड़ा सम्मान॥5॥ 

पूजन तेरा हम करें, भक्ति भाव के साथ।
चाहें अपने शीश पर, ममता वाला हाथ॥6॥ 

हे माता! वागेश्वरी, वाणी का दो दान।
सकल जगत में आपका, करूँ सदा यशगान॥7॥ 

माता हो ममतामयी, बालक सभी अबोध।
पूजन सब स्वीकार लो, बिना किसी अवरोध॥8॥

क्षमा करो माँ भूल सब, करो कृपा बरसात।
मैं दोहोँ में कह गया, अपने मन की बात॥9॥ 

शब्द सुमन अर्पित करूँ, मातु करो स्वीकार।
कलम सदा लिखती रहे, महिमा बड़ी अपार॥10॥

-पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू'

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