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Sunday, June 5, 2016

नेता हुए दलाल - राहुल गुप्ता

गाँधी जी के देश में, कैसा मचा बवाल।
गुंडे ठेकेदार हैं, नेता हुए दलाल।।
रस्ते कठिनाई भरे, मंजिल हो गयी दूर।
महँगाई के दौर में, सपने चकनाचूर।।
रोटी कपड़ा दाल की, बातें हुयी हजार।
नेताओं को भा रहा, वोटों का व्यापार।।
भूखे को कब मिल सके, रोटी चावल दाल।
नेता जी की पाँत में, मुर्गे हुए हलाल।।
सूख चली यमुना नदी, सूख चले हैं घाट।
कैसे यमुना फिर बहे, देख रहे सब बाट।।
यमुना मंगलदायनी, समझो इसकी पीर।
करो जतन जी जान से, शुद्ध कराओ नीर।।
दागी बागी भ्रष्ट बद, राजनीति की शान।
गुंडई नंगई लुच्चई, बनी नई पहचान।।
नेता भिखमंगे हुए, मतदाता बेज़ार।
वादों के असवाब से, अटा पड़ा बाज़ार।
मुझको ही मत दीजिये, मैं ही तारनहार।
कहते फिरें चुनाव में, नेता जी हर बार।
मन्दिर में गाते भजन, मन रत्ना की आस।
कलयुग में ऐसे मिले, कितने तुलसीदास।।

- राहुल गुप्ता

 अध्यक्ष, संकेत रंग टोली, लोहवन, मथुरा
9412538550

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