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Monday, August 17, 2015

पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू' के हरिगीतिका छंद

जिस देश का गुणगान करते देव भी थकते नहीं,
समतुल्य इसके देश कोई और हैं मिलते नहीं।
प्रभु ने लिया अवतार आकर भू अतीव विशेष है,
यह सर झुका जिसके लिए वह मंजु भारत देश है॥1॥

है सभ्यता-संस्कृति अमर गौरवमयी इतिहास भी,
सबसे प्रथम हमको हुआ सद्ज्ञान का आभास भी।
नदियाँ बहातीँ गाय थन से दुग्ध का भंडार था,
खुशहाल जीवन का यही सुंदर सरल आधार था॥2॥

गोवत्स आते काम खेती हेतु जो वरदान थे,
उनकी वजह से भूमिसुत अतिशय हुए धनवान थे।
रक्षा करें हम गाय की अपना सदा मन-प्राण दें,
देखो नरेश दिलीप का सुंदर अतीव प्रमाण दें॥3॥

जिस भूमि भारत में हुआ था गाय का पूजन कभी,
सौभाग्य अपना मानकर सेवार्थ प्रस्तुत हो सभी।
रोटी प्रथम अर्पित करें हम नित्य का यह काम था,
यदि गाय को आराम होता तो स्वयं आराम था॥4॥

पर देखिए कैसा लगा अब तो घिनौना वक्त है,
हालात गो माँ के निरखकर खौलता ना रक्त है?
गो मातु पर होने लगें अब घोर अत्याचार हैं,
क्यों शर्म आती है नहीं कितने घृणित व्यवहार हैं॥5॥

संकल्प लें आओ सदा गो मातु का रक्षण करें,
दें दंड उनको घोर जो गो मांस का भक्षण करें।
इस हेतु गर मरना पड़े तो बंधु पीछे मत हटो,
कर्तव्य अपना जानकर जी जान से पथ में डटो॥6॥

प्राचीन संस्कृति है निराली स्वर्ग का प्रतिविम्ब है,
अब तक धरा जिस पर टिकी वह गाय ही अवलम्ब है।
हम मानते बस पशु नहीं गो मातु का दर्जा दिया,
ग़मगीन हो माता अगर तो दग्ध होता है हिया॥7॥

है देह सदियों से ऋणी गो मातु का हम ध्यान दें,
चुकता करें उसको पुनः खोया हुआ सम्मान दें।
फिर गर्व से हम कह सकेंगे देश अपना भिन्न है,
रहते वहाँ पर हम जहाँ ना गाय माता खिन्न है॥8॥

घबरा नहीं माता तुम्हारा आ गया सुखमय समय,
विचरण करो स्वच्छंद होकर हर जगह होकर अभय।
'पूतू' कलम अपनी उठा रक्षार्थ हम प्रण लें चुके।
निज साँस रुक जाए भले अभियान अपना मत रुके॥9॥

-पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू'

ग्राम-टीसी,पोस्ट-हसव­ा,जिला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)-212645

1 comment:

  1. ' गो माता ' पर हरगीतिका छंद में सशक्त रचना है । बहुत-बहुत बधाई ।

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