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विविधा : हिंदी की साहित्यिक पत्रिका

Thursday, August 13, 2015

गीत - लक्ष्मण रामानुज लडीवाला

रिमझिम रिमझिम सावन आया

वसुधा पर छाई हरियाली
खेतों में भी रंगत आई |
धरती के आँगन में बिखरी
मखमल-सी हरियाली छाई ||


रिमझिम-रिमझिम सावन आया
वन उपवन में यौवन छाया |

उमड़ घुमड़ बदली बरसाए
सावन मन बहकाता जाए |
साजन लौट जब घर आये
गाल गुलाबी रंगत लाये ||


रिमझिम-रिमझिम सावन आया
वन उपवन में यौवन छाया |


जिया पिया का खिलखिल जाए नयनों से अमरित बरसाए |
तन मन में यौवन छा जाए
पिया मिलन के पल जब जाए ||


रिमझिम-रिमझिम सावन आया
वन उपवन में यौवन छाया |


साजन ने गजरे में गूंथा गेंदे की मुस्काई कलियाँ |
बागों में झूला डलवाया
झूला झूले सारी सखियाँ ||


रिमझिम-रिमझिम सावन आया
वन उपवन में यौवन छाया |

शीतल मंद हवा का झोंका
मस्त मधुर यौवन गदराया |
मटक-मटक कर चमके बिजुरी
सजनी का भी मन इतराया ||


रिमझिम-रिमझिम सावन आया
वन उपवन में यौवन छाया |

हरियाली तीज त्यौहार में
चंद्रमुखी सी सजती सखियाँ
शिव गौरी की पूजा करती
मेहंदी रचे हाथों से सखियाँ |


रिमझिम-रिमझिम सावन आया
वन उपवन में यौवन छाया |

चंद्रमुखी मृगलोचनी-सी
नवल वस्त्र में सजकर सखियाँ |
झूम-झूम कर नाचे गावें
दृश्य देख हर्षाएं रसियाँ ||


रिमझिम रिमझिम सावन आया
वन उपवन में यौवन छाया |

-लक्ष्मण रामानुज लडीवाला

1 comment:

  1. गीत को विविधा में प्रकाशित करने और यूट्यूब पर पोस्ट करने के लिए हार्दिक आभार श्री Raghuvinder Yadav जी ।

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