tag:blogger.com,1999:blog-365751449618881840.post3992298371040049481..comments2023-10-22T15:59:09.285+05:30Comments on विविधा : मिले-जुले दोहेVividhaahttp://www.blogger.com/profile/04460633719543968175noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-365751449618881840.post-29560384981582859932011-11-08T00:00:32.433+05:302011-11-08T00:00:32.433+05:30आपने बड़ी सरलता और सहजता से सच्ची और साहसिक बातें...आपने बड़ी सरलता और सहजता से सच्ची और साहसिक बातें की हैं :<br />"जाता है कट शीश भी, है मुझको ये ज्ञात.<br />फिर भी मैं कहता सदा, केवल सच्ची बात.<br />दिल्ली के दरबार में, भ्रष्टजनों की भीड़.<br />जनता को मिलते नहीं, रोटी, कपड़ा, नीड़.<br />वो कुर्सी पर बैठकर, करते अत्याचार.<br />जनता फिर भी कर रही, उनकी जय-जयकार."<br /><br />- शून्य आकांक्षीShoonya Akankshihttps://www.blogger.com/profile/06648329056370985240noreply@blogger.com