तकते थे मिलकर सभी, जब फागुन की राह !!
सच्चाई के सामने, गई बुराई हार !
यही सिखाता है हमें, होली का त्यौहार !!
होली है नजदीक ही, बीत रहा है फाग !
आया नहीं विदेश से, मेरा मगर सुहाग !!
पिया मिलन की आस में, रात बीतती जाग !
बैठ रहा मुंडेर पर, ले संदेशा काग !!
छूटे ना अब रंग यह, छिले समूचे गाल !
महबूबा के हाथ का,ऐसा लगा गुलाल !!
सूखी होली खेलिए, मलिए सिर्फ गुलाल !
आगे वाला सामने, कर देगा खुद गाल !!
पिचकारी करने लगी, सतरंगी बौछार !
मीत मुबारक हो तुम्हें, होली का त्यौहार !!
देता है सन्देश यह, होली का त्यौहार !
रंजिश मन से दूर कर, करें सभी से प्यार !!
करें प्रतिज्ञा एक हम, होली पर इस बार !
बूँद नीर की एक भी, करें नहीं बेकार !!
छोड पुरानी रंजिशें, काहे करे मलाल !
इक दूजे के गाल पर, आओ मलें गुलाल !!
सूना-सूना है बडा, होली का त्योहार !
होंठों पे मुस्कान ले, आ भी जाओ यार !!
दिखी नहीं त्यौहार में, शक्लें कुछ इस बार !
थी जिनकी मुस्कान ही, पिचकारी की धार !!
-रमेश शर्मा
मुंबई
९८२०५२५९४०
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