बचपन के होंठों पर
मुग्ध - हास बोयें ।
आओ, उनसे छीन लें
चिंता की आरियां,
सबको सुनायी दें
उनकी किलकारियां,
इंद्रधनुषी स्वप्नों को
वे फिर सजोयें ।
बाल-सुलभ लीलाऐं
पाती हों पोषण,
कोई न कर पाये
बच्चों का शोषण,
भावों - अभावों में
बच्चे न रोयें ।
संस्कार, संस्कृति के
दीपक जलायें,
सब मिलकर
खुशियों के नवगीत गायें,
विकृत विचारों को
वे अब न ढोयें ।
बचपन के होंठों पर
मुग्ध - हास बोयें ।।
रेलवे चिकित्सालय के सामने,
आबू रोड -307026 ( राजस्थान )
मुग्ध - हास बोयें ।
आओ, उनसे छीन लें
चिंता की आरियां,
सबको सुनायी दें
उनकी किलकारियां,
इंद्रधनुषी स्वप्नों को
वे फिर सजोयें ।
बाल-सुलभ लीलाऐं
पाती हों पोषण,
कोई न कर पाये
बच्चों का शोषण,
भावों - अभावों में
बच्चे न रोयें ।
संस्कार, संस्कृति के
दीपक जलायें,
सब मिलकर
खुशियों के नवगीत गायें,
विकृत विचारों को
वे अब न ढोयें ।
बचपन के होंठों पर
मुग्ध - हास बोयें ।।
- त्रिलोक सिंह ठकुरेला
बंगला संख्या- 99,रेलवे चिकित्सालय के सामने,
आबू रोड -307026 ( राजस्थान )