भेज रही भैया तुम्हें, राखी के दो तार।
बन्द लिफाफे में किया, दुनिया भर का प्यार।।
बन्द लिफाफे में किया, दुनिया भर का प्यार।।
भेजी पाती नेह की, शब्द पुष्प के हार।
छोटी बहना कह रही, कर लेना स्वीकार।।
छोटी बहना कह रही, कर लेना स्वीकार।।
रूठे भैया की करूं, मैं सौ सौ मनुहार।
शायद रूठे इसलिये, आ न सकी इस बार।।
शायद रूठे इसलिये, आ न सकी इस बार।।
सावन बरसे आंख से, ब्याही कितनी दूर।
बाबुल भी मजबूर थे, मैं भी हूँ मजबूर।।
बाबुल भी मजबूर थे, मैं भी हूँ मजबूर।।
भैया खत भेजा नहीं, ना कोई संदेश।
लो सावन भी आ गया, बहन बसी परदेस।।
लो सावन भी आ गया, बहन बसी परदेस।।
भाई मन में रो रहा, बाबुल भी बेज़ार,
मम्मी की रुकती नहीं, आंखों से जलधार।
मम्मी की रुकती नहीं, आंखों से जलधार।
मँडराई है मंथरा, फिर रानी के पास।
अब जाने किस राम को, फिर होगा वनवास।।
अब जाने किस राम को, फिर होगा वनवास।।
मेरे सपनों में बसा, ऐसा हिन्दुस्तान।
मस्जिद में हो हरि कथा, मंदिर बँचे कुरान।।
मस्जिद में हो हरि कथा, मंदिर बँचे कुरान।।
ये कैसा परिदृश्य है, ये कैसा उन्माद।
कभी दिखाए गोधरा, कभी अहमदाबाद।।
कभी दिखाए गोधरा, कभी अहमदाबाद।।
दोनों ही इस देश को, ईश्वर का वरदान।
दोनों में अंतर कहाँ, मीरा या रसखान।।
दोनों में अंतर कहाँ, मीरा या रसखान।।
तुलसी सूरा मौन हैं, आहत हुआ कबीर।
हिंदू मुस्लिम खींचते, भारत माँ के चीर।।
हिंदू मुस्लिम खींचते, भारत माँ के चीर।।
थके थके से अश्व हैं, बोझिल बोझिल पाँव।
लुटा उम्र का कारवाँ, अब साँसों के गाँव।।
लुटा उम्र का कारवाँ, अब साँसों के गाँव।।
साँसों ने जिस दिन किए, अपने बंद किवाड़।
हीरे जैसा तन हुआ, पल में काठ-कबाड़।।
हीरे जैसा तन हुआ, पल में काठ-कबाड़।।
नित नूतन आशा लिए, नित नित नूतन वेश।
साँझ ढली सजनी चली, निज प्रीतम के देश।।
साँझ ढली सजनी चली, निज प्रीतम के देश।।
श्वांस श्वांस रीते कलश, भर पाया है कौन।
कुआँ कुआँ खामोश है, पनघट पनघट मौन।।
कुआँ कुआँ खामोश है, पनघट पनघट मौन।।
मिथ्या जीवन सब कहें, मिथ्या है हर साँस।
सत्य राम का नाम है, एक उसी की आस।।
सत्य राम का नाम है, एक उसी की आस।।
धागा तक दिखता नहीं, हारे मोती बींध।
अब पलकें मुँदने लगीं, आने को है नींद।।
अब पलकें मुँदने लगीं, आने को है नींद।।
पावस दोहे रच रहा, धरती गाती गीत।
अब शायद मिल जाएंगे, कबके बिछुड़े मीत।।
अब शायद मिल जाएंगे, कबके बिछुड़े मीत।।
-आर0 सी0 शर्मा 'आरसी'
दीपशिखा विद्या विहार,
गैस्ट हाऊस के सामने, कोटा
दीपशिखा विद्या विहार,
गैस्ट हाऊस के सामने, कोटा
Very heart warming dohas , all of them are super, but the one quoted is I like best. मिथ्या जीवन सब कहें, मिथ्या है हर साँस।
ReplyDeleteसत्य राम का नाम है, एक उसी की आस।।