बस्तियां जलती हुयी, हँसते समंदर देखिये
आज अपने वक़्त के नायाब मंज़र देखिये
कल तलक जिनको हवा का रुख समझ आता न था
आज उनके हुक्म से उठते बवंडर देखिये
हार कर भी जीतता आया सदा पोरस यहाँ
आज तक आये-गए कितने सिकंदर देखिये
देश है ऊँचा उठा पर इस तरह इस नाप से
आज बौने आसमां के हैं बराबर देखिये
पूछिए मत किस तरह मैंने गुजारी जिन्दगी
हर कदम पर आप भी खतरे उठा कर देखिये
खून पानी आग ये सब अब नहीं बच पायेंगे
वक़्त के हाथों उठे हैं तेज़ खंज़र देखिये
एक रसवंती नदी थी कल तलक हर आँख में
नाम पर उसके यहाँ अब रेत बंज़र देखिये
खून के सैलाब से तो कुछ न हासिल हो सका
अब जरा इक अश्रुकण में भी नहा कर देखिये
नापिए मत अपनी हलचल से मेरी गहराइयाँ
मैं समंदर हूँ जरा मुझको थहा कर देखिये||
-डॉ. राधेश्याम शुक्ल, हिसार/जरा सी प्यास रहने दे
आज अपने वक़्त के नायाब मंज़र देखिये
कल तलक जिनको हवा का रुख समझ आता न था
आज उनके हुक्म से उठते बवंडर देखिये
हार कर भी जीतता आया सदा पोरस यहाँ
आज तक आये-गए कितने सिकंदर देखिये
देश है ऊँचा उठा पर इस तरह इस नाप से
आज बौने आसमां के हैं बराबर देखिये
पूछिए मत किस तरह मैंने गुजारी जिन्दगी
हर कदम पर आप भी खतरे उठा कर देखिये
खून पानी आग ये सब अब नहीं बच पायेंगे
वक़्त के हाथों उठे हैं तेज़ खंज़र देखिये
एक रसवंती नदी थी कल तलक हर आँख में
नाम पर उसके यहाँ अब रेत बंज़र देखिये
खून के सैलाब से तो कुछ न हासिल हो सका
अब जरा इक अश्रुकण में भी नहा कर देखिये
नापिए मत अपनी हलचल से मेरी गहराइयाँ
मैं समंदर हूँ जरा मुझको थहा कर देखिये||
-डॉ. राधेश्याम शुक्ल, हिसार/जरा सी प्यास रहने दे
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