शजर से टूट कर पत्ते का कोई दर नही होता
कटा जो अपनी मिट्टी से, फिर उसका घर नही होता
हजारों ख्वाब ले कर, दूसरे के घर चले जाओ
पराई रोशनी का अपना सा मंजर नही होता
जड़ें जिसकी रही कायम, कभी उस पेड़ पर यारों
हज़ारों आंधियाँ गुजरें, असर तिलभर नही होता
हम अपने हौसलों के पंख जो पहचान लें पहले
तो फिर परवाज़ करने में कोई भी डर नही होता
लुटाये गुल मुहब्बत के, यहां जिस शख्स ने हरदम
कभी उस हाथ में, नफ़रत भरा पत्थर नही होता
खुदा की राह में जो नेकियों के साथ चलता है
बगल में उसकी, कोई घात का खंजर नही होता
सम्भालो कद जरा ‘नादान’ चादर के मुताबिक तुम
वगरना पैर ढकने पर, ढका हो सर, नही होता
-ताराचन्द "नादान"
+91 9582279345
कटा जो अपनी मिट्टी से, फिर उसका घर नही होता
हजारों ख्वाब ले कर, दूसरे के घर चले जाओ
पराई रोशनी का अपना सा मंजर नही होता
जड़ें जिसकी रही कायम, कभी उस पेड़ पर यारों
हज़ारों आंधियाँ गुजरें, असर तिलभर नही होता
हम अपने हौसलों के पंख जो पहचान लें पहले
तो फिर परवाज़ करने में कोई भी डर नही होता
लुटाये गुल मुहब्बत के, यहां जिस शख्स ने हरदम
कभी उस हाथ में, नफ़रत भरा पत्थर नही होता
खुदा की राह में जो नेकियों के साथ चलता है
बगल में उसकी, कोई घात का खंजर नही होता
सम्भालो कद जरा ‘नादान’ चादर के मुताबिक तुम
वगरना पैर ढकने पर, ढका हो सर, नही होता
-ताराचन्द "नादान"
+91 9582279345
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