मन का अँधियारा मिटे, सुखी रहे घर-बार।
लगे दमकता लाडला, दीपों का त्योहार॥
चाँद-सितारे थे नहीं, सूना था आकाश।
दीप-पटाखे भर रहे, उसमें नव-उल्लास॥
धर्म तनिक चुप-चुप दिखा, थामे अपना छोर।
दीवाली पर यों हुआ, आडंबर चहुँओर॥
चाइनीज मत बल्ब लें, दीवाली पर मीत।
मिट्टी के दीपक जलें, बढ़े आपसी प्रीत॥
भारत को बल दे रहे, सनातनी सब पर्व।
"गौरव" ये दीपावली, हमसब का है गर्व॥
पटना - 801503 बिहार
लगे दमकता लाडला, दीपों का त्योहार॥
चाँद-सितारे थे नहीं, सूना था आकाश।
दीप-पटाखे भर रहे, उसमें नव-उल्लास॥
धर्म तनिक चुप-चुप दिखा, थामे अपना छोर।
दीवाली पर यों हुआ, आडंबर चहुँओर॥
चाइनीज मत बल्ब लें, दीवाली पर मीत।
मिट्टी के दीपक जलें, बढ़े आपसी प्रीत॥
भारत को बल दे रहे, सनातनी सब पर्व।
"गौरव" ये दीपावली, हमसब का है गर्व॥
-कुमार गौरव अजीतेन्दु
शाहपुर, दानापुर (कैन्ट)पटना - 801503 बिहार
बहुत-बहुत धन्यवाद मेरे दोहों को पत्रिका में स्थान देने के लिए...........
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