रोज़ो शब मत सता ज़िन्दगी
अब न अहसां जता ज़िन्दगी
लाज इसकी रखो हर तरह
रब ने की है अता ज़िन्दगी
खेल तेरा बहुत हो चुका
कर न अब तू कहता ज़िन्दगी
कुछ समझ में नहीं आ रहा
क्यों बताती धता ज़िन्दगी
यार मेरा जहाँ आज दिन
ढूंढ ला वो पता ज़िन्दगी
लक्ष्य को भेदकर के दिखा
तीर मत कर खता ज़िन्दगी||
अब न अहसां जता ज़िन्दगी
लाज इसकी रखो हर तरह
रब ने की है अता ज़िन्दगी
खेल तेरा बहुत हो चुका
कर न अब तू कहता ज़िन्दगी
कुछ समझ में नहीं आ रहा
क्यों बताती धता ज़िन्दगी
यार मेरा जहाँ आज दिन
ढूंढ ला वो पता ज़िन्दगी
लक्ष्य को भेदकर के दिखा
तीर मत कर खता ज़िन्दगी||
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