विविधा

विविधा : हिंदी की साहित्यिक पत्रिका

Saturday, December 31, 2011

स्वागत है नव वर्ष

स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा,
खुशियाँ लेकर आना तुम/
अमन चैन की लाना बहारें,
पग-पग फूल खिलाना तुम/
वर्षा हो पर्याप्त जगत में,
कहीं न बाढ़ और सूखा हो/
धन धान्य से भरें खजाने,
दीनों को हर्षाना तुम/
शांति हो सर्वत्र जहाँ में,
कहीं न हिंसा हानि हो/
मिलजुल कर सब रहे अमन से,
ऐसा रंग ज़माना तुम/
अन्धकार हो दूर जगत से,
शिक्षित हों सब नर नारी/
फिर वेदों की वाणी गूंजे,
ऐसा गीत सुनाना तुम/
कपड़ा सुलभ सभी को होवे,
सब को छत और काम मिले/
कोई न भूखा प्यासा सोये,
सब की भूख मिटाना तुम/
नारी का सम्मान बढे,
फिर अबला सबला हो जाये/
जिस पल का इन्तजार सभी को,
उसको लेकर आना तुम //
-रघुविन्द्र यादव 

No comments:

Post a Comment