पर्वत पठार नदियाँ
उस ईश के हस्ताक्षर।
जल वायु पुष्प ऋतुयें
उसको करें उजागर।।
इस सृष्टि के हर कण में
वह छिप के है समाया।
पत्थर और जल कमल में
उसका ही रूप छाया।।
पक्षी जो करते कलरव
उड़ते हुए गगन में।
तारे जो टिम टिमाते
खुशबू है जो पवन में।।
सागर में लहरें उठकर
जो तट की ओर आती।
उस विश्व चेतना की
धडक़न को ही सुनाती।।
रवि, चन्द्रमा, दिशायें
यह अखिल विश्व सारा।
सब कारणों का कारक
वह ईश सबसे न्यारा।।
तूफान उत्तराखंड का
हमने अभी जो देखा।
मानव के प्रकृति-दोहन पर
खिच गई सीमा-रेखा।।
इस प्रकृति के हस्ताक्षर को
रखें स्मृति-पटल पर।
हम प्रकृति को न छेड़ें
निज स्वार्थ के पहल पर।।
-प्रो. बसन्ता
सरदार वल्लभ भाई पटेल महाविद्यालय, भभुआ
(कैमूर) बिहार-821101
उस ईश के हस्ताक्षर।
जल वायु पुष्प ऋतुयें
उसको करें उजागर।।
इस सृष्टि के हर कण में
वह छिप के है समाया।
पत्थर और जल कमल में
उसका ही रूप छाया।।
पक्षी जो करते कलरव
उड़ते हुए गगन में।
तारे जो टिम टिमाते
खुशबू है जो पवन में।।
सागर में लहरें उठकर
जो तट की ओर आती।
उस विश्व चेतना की
धडक़न को ही सुनाती।।
रवि, चन्द्रमा, दिशायें
यह अखिल विश्व सारा।
सब कारणों का कारक
वह ईश सबसे न्यारा।।
तूफान उत्तराखंड का
हमने अभी जो देखा।
मानव के प्रकृति-दोहन पर
खिच गई सीमा-रेखा।।
इस प्रकृति के हस्ताक्षर को
रखें स्मृति-पटल पर।
हम प्रकृति को न छेड़ें
निज स्वार्थ के पहल पर।।
-प्रो. बसन्ता
सरदार वल्लभ भाई पटेल महाविद्यालय, भभुआ
(कैमूर) बिहार-821101
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