विविधा

विविधा : हिंदी की साहित्यिक पत्रिका

Tuesday, December 1, 2015

चाँद -चकोर

आकाश की आँखों में
रातों का सूरमा
सितारों की गलियों में
गुजरते रहे मेहमां
मचलते हुए चाँद को
कैसे दिखाए कोई शमा
छुप छुपकर जब
चाँद हो रहा है जवां

चकोर को डर
भोर न हो जाएँ
चमकता मेरा चाँद
कहीं खो न जाए
मन बेचैन आँखे
पथरा सी जाएगी
विरह मन की राहे
रातें निहारती जाएगी

चकोर का यूँ बुदबुदाना
चाँद को यूँ सुनाना
ईद और पूनम पे
बादलो में मत छुप जाना

याद रखना बस
इतना न तरसाना
मेरे चाँद तुम खुद
चले आना

-संजय वर्मा "दृष्टि "

125 शहीद भगत सिंह मार्ग
मनावर जिला धार (म प्र )
454446

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