विविधा

विविधा : हिंदी की साहित्यिक पत्रिका

Sunday, September 20, 2015

कृष्ण गोपाल विद्यार्थी की ग़ज़ल

छत की उम्र पूछनी है तो ढहती दीवारों से पूछ
आग का मतलब पूछ न मुझसे जलते अंगारों से पूछ

छेनी की चोटों से जिनका रेशा रेशा दुखता है
ऊँचा उठने की कीमत तो ज़ख्मी मीनारों से पूछ

बड़े बड़े महलों का तू इतिहास लिखे, इससे पहले
कितने घर बरबाद हुए थे बेघर बंजारों से पूछ

पुरखों की संघर्ष-कथा कम्प्यूटर क्या बतलाएगा
कैसे मुकुट बचा माता का टूटी तलवारों से पूछ

ओ मगरूर मुसा$िफर तेरे स$फर की फिर भी मंजि़ल है,
जिनको चलना और $फ$कत चलना है उन तारों से पूछ

 - बहादुरगढ़, हरियाणा

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